जब आचरण भ्रष्ट या दूषित हो जाय तब भ्रष्टाचार पनपता है । आचरण मात्र मानव करता है ,जो अच्छा करे वो sadachar
एवं जो गलत करे वो दुराचार । दुराचार ही भ्रष्टाचार का ही दुसरा नाम है । मानव ने ही इसे अपने छोटे-छोटे स्वार्थो कि पूर्ती कि खातिर एवं आदर्शो को भूल कर जन्म देकर आगे बढाया है और आज इसी ने हम सबके नैतिक मुल्यो को दांव पर लगा दिया है। आज हर तरफ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है,चाहे वह कोई भी शेत्र हो ,शिक्षा ,संगीत ,राजनीति ,सरकारी-ग़ैर सरकारी कार्यालय ,हर तरफ तन मन धन से तन मन धन का भ्रष्टाचार हो रहा है। आज मानव अपने नैतिक मुल्यो को बेच रहा है एवं मानवता को भूल गया है । इस का परिणाम स्वतः मानव को ही झेलना है ,इससे आने वाली पीढी भी अभिशापित होगी । आज सबसे बढ़ी आवश्यकता है ,मानव निर्मित इस भ्रष्टाचार जैसे दानव को मानव स्वतः अपने स्वार्थो को भूलकर एवं मानवता तथा नैतिकता को जिंदा रखने हेतु अपने आत्मा से बाहर निकाल फ़ेंक दे । इसे बढावा ना दे क्योंकि भ्रष्टाचार करना एवं उसे बढावा
देना भी अपराध होता है। भ्रष्टाचार रहित देश सदैव प्रगति के पथ पर आगे रहेगा ।
Saturday, May 5, 2007
Tuesday, May 1, 2007
आत्मविश्वास
आत्मविश्वास का सही अर्थ खुद पर भरोसा एवं अपनी आत्मा की निहित शक्ति पर विश्वास है ।
आपके चरित्र तथा सकारात्मक सोच मे अनुशासन एवं कर्तव्य जैसे गुण आपके आत्मविश्वास
को बढ़ाते है ।
शुरुआत मे अपनी सोच बदले तथा अच्छाइयों को खोजे । हालत के अच्छे व बुरे पहलू पर विचार कर
अच्छे पहलू पर गौर करे एवं बुरे पहलू से सचेत होकर कार्य करे ।
संकोच,शर्म जैसे नकारात्मक विचारो को महत्व ना देते हुए विचारो मे खुलापन लाए ।
सकारात्मक सोच बढने से आत्मसम्मान बढ़ता है । इसके के लिए अच्छे गुरू या मार्गदर्शक
से अनुभव प्राप्त करे । ओप्चारिक या उनोप्चारिक शिक्षा के ज्ञान को समझदारी से अमल
मे लाने से आत्मविश्वास बढ़ता है ।
इससे आपकी पहचान बनती है ,जोश पैदा होता है ,जीवन आनंदित और लोग आपसे से प्रेरित
होंगे ।
चरित्र ,कार्य के प्रति लगन ,साहस एवं पक्के इरादे जैसी खुबिया आपके आत्मविश्वास को
प्रदर्शित करती है।
अच्छे स्वाभिमान का निर्माण करे । परिवार कि सम्पूर्ण देखभाल से सम्मानित हो।
असफ़लता एवं अनजानी चिजो से ना डरे ,फैसलों के लेने व अस्वीकार किये जाने के भय
से आशंकित ना हो।
आशावादी साथ अपनी प्रतिभा का उपयोग करे । सपनो को साकार करने के प्रति कटिबद्ध रहकर
नकारात्मकता को दूर रखे ,जो आपके अन्दर के विश्वास को निश्चित ही प्रदर्शित करेगा।
आपके चरित्र तथा सकारात्मक सोच मे अनुशासन एवं कर्तव्य जैसे गुण आपके आत्मविश्वास
को बढ़ाते है ।
शुरुआत मे अपनी सोच बदले तथा अच्छाइयों को खोजे । हालत के अच्छे व बुरे पहलू पर विचार कर
अच्छे पहलू पर गौर करे एवं बुरे पहलू से सचेत होकर कार्य करे ।
संकोच,शर्म जैसे नकारात्मक विचारो को महत्व ना देते हुए विचारो मे खुलापन लाए ।
सकारात्मक सोच बढने से आत्मसम्मान बढ़ता है । इसके के लिए अच्छे गुरू या मार्गदर्शक
से अनुभव प्राप्त करे । ओप्चारिक या उनोप्चारिक शिक्षा के ज्ञान को समझदारी से अमल
मे लाने से आत्मविश्वास बढ़ता है ।
इससे आपकी पहचान बनती है ,जोश पैदा होता है ,जीवन आनंदित और लोग आपसे से प्रेरित
होंगे ।
चरित्र ,कार्य के प्रति लगन ,साहस एवं पक्के इरादे जैसी खुबिया आपके आत्मविश्वास को
प्रदर्शित करती है।
अच्छे स्वाभिमान का निर्माण करे । परिवार कि सम्पूर्ण देखभाल से सम्मानित हो।
असफ़लता एवं अनजानी चिजो से ना डरे ,फैसलों के लेने व अस्वीकार किये जाने के भय
से आशंकित ना हो।
आशावादी साथ अपनी प्रतिभा का उपयोग करे । सपनो को साकार करने के प्रति कटिबद्ध रहकर
नकारात्मकता को दूर रखे ,जो आपके अन्दर के विश्वास को निश्चित ही प्रदर्शित करेगा।
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