नव वर्ष 2015 का शुभारंभ हो गया है, आप सभी को नव वर्ष की अनेक हार्दिक शुभकामनायें देता हूं
और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि यह वर्ष आप सभी के लिये मंगलमय हो, आपका स्वास्थ्य उत्तम हो, आपके घर पर लक्ष्मी सदा विराजमान रहे, आपकी सारी भावी इच्छाओं को पूर्ति हो और आप जीवन के हर
पहलू में सदा मुस्कुराते रहें।
जीवनचक्र के दो मुख्य पहलू सुख और दुख होते है, इन दोनों पहलूओं के मध्य सामंजस्य बनाते हुये हमें जीवन
पर्यंत सामना करते हुये चलना होता है। प्रथम पहलू सुख का अर्थ है, आपका जीवन निरोगी काया के साथ कुशलपूर्वक होना और जीवन में
किसी बात की परेशानी बिना चहूंओर मंगल ही मंगल होना । आवश्यक अच्छा धन व ऐश्वर्यता, अच्छा स्वास्थ्य, अच्छा परिवार, अच्छी शिक्षा, अच्छा खानपान-रहनसहन, कार्य में
अच्छी सफलता और सामाजिक आदर आदि जिसके साथ हम बिना किसी बात की चिंता किये अपने जीवन
का कुछ समय आनंद और खुशहाली के वातावरण में व्यतीत कर लेते है, यही जीवन का सुख है।
वहीं मुझे लगता है, जीवन के दूसरे पहलू दुख का अर्थ है, हमारे जीवन के उपरोक्त बताये सुख के प्रकारों में कहीं ना कहीं
कमी या व्यवधान आना जो हमारे अंदर अमंगलता का डर पैदा कर देता है और हमारी मानसिकता
को थोडे समय के लिये निराशा का भाव उत्पन्न कर पूरी तरह से भ्रमित करके हमें विचलित
कर देता है । किसी ने सही कहा है आगे सुख है तो पीछे दुख है हर दुख में एक सुख है
। धन की कमी, शारिरिक रूप से स्वास्थ्य में खराबी
या बीमारी, परिवार में एकजुटता में कमी, शिक्षा में कमी, कार्य में असफलता और सम्मान में कमी, पर्याप्त खानपान और रहनसहन में कमी आदि आदि परिस्थितियां हमें
जीवन में कभी ना कभी झेलने पर मजबूर होना पडता है जिसे हम जीवन का दुख मान लेते है
। किंतु यह जीवनचक्र की सच्चाई है इसे हमें सहज लेकर मात्र जीवन का छोटा सा कष्ट समझ
कर मुस्कुराते हुये स्वीकार करना चाहिये उसी में जीवन का मजा है और यही जीवन जिने की
कला है ।
अत: यह सिद्ध होता है कि जीवन के दोनों ही पहलू सुख और दुख एक
दूसरे के पूरक है। हम सभी सौभग्यशाली है कि भगवान ने हमें जो बहुमूल्य जिंदगी या जीवन
दिया है उसे हम अपने अच्छे और भले कर्मों के द्वारा कर्तव्यों का पालन करते हुये परिपूर्ण
करें और जीवन को आनंद के साथ मुस्कुराते हुये गुजारें । बुरे कर्मों या कार्यो को नकारे
और उनसे सबक लेकर अच्छे कार्य करें क्योकिं हम जानते है कि बुरे काम का बुरा नतीजा
ही होता है जो आपके जीवन को दुखी कर देता है।
मुझे लगता है कि वर्ष 2015 में हम यह संकल्प और प्रण करें कि
हम हमारे जीवन के हर मोड और पहलू पर आने वाले सुखों और कष्टों के पलों को वास्तविकता
से हंसते मुस्कुराते हुये व्यतीत करें जिससे हमें अपने भावी जीवन को सुधारने, सवांरने और समझने में मदद मिले और जिससे हमें जीवन की सम्पूर्णता
के छुपे रहस्य की अनुभूती हो सके । अत: मुस्कुराते हुए रहने से हम हमारे बहुत से कष्टों
पर विजय पा सकते है।
अत: आज ही से हम अपने घर परिवार, आसपास, समाज और सरकारी
कार्यो में मिलने वाले लोगों के साथ मिलजुल कर उनके हर सुख दुख में हंसते मुस्कुराते
हुए सहयोग करें तो आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि हम हर जगह सफल होंगे जिससे हमारे
जीवन का समय आनन्दपूर्वक कट जायेगा ।
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