प्रेम का सही मायने मे अर्थ सबके प्रति लगाव जो निस्वार्थ भाव से किया गया हो।
परमात्मा से प्रेम करना समस्त मानवता से प्रेम करने के जैसा है ।
सबके प्रति भाई- भाई की द्रष्टि रखने से आप सदा प्रेम्युक्त रह सकेंगे ।
यह आशा मत रखिये की दुसरे आप से प्यार करे एवं आप पर ध्यान दे । इसके बजाय
आप दूसरो से प्यार करे एवं उनका ध्यान रखे ।
जब आप दूसरो से प्यार करना सीख लेंगे तब दुसरे आप से नफरत करना छोड देंगे।
शत्रु से छुटकारा पाने का सही उपाय है कि उसे अपना मित्र बना ले ।
हम जिससे प्रेम करते है हमारा स्वरुप एवं व्यक्तित्व वैसा ही बन जाता है ।
सबके प्रति समान स्नेह रखने से आप धैर्य का जीवन जी सकते है ।
जो प्रेम किसी को नुक़सान पहुचाये वह प्रेम है ही नही ।
जितना प्रेम देंगे उतना प्रेम पाएंगे , जितना प्रेम अधिक होगा उसे देना उतना ही सहज हो जाएगा ।
परमात्मा से प्रेम करना समस्त मानवता से प्रेम करने के जैसा है ।
सबके प्रति भाई- भाई की द्रष्टि रखने से आप सदा प्रेम्युक्त रह सकेंगे ।
यह आशा मत रखिये की दुसरे आप से प्यार करे एवं आप पर ध्यान दे । इसके बजाय
आप दूसरो से प्यार करे एवं उनका ध्यान रखे ।
जब आप दूसरो से प्यार करना सीख लेंगे तब दुसरे आप से नफरत करना छोड देंगे।
शत्रु से छुटकारा पाने का सही उपाय है कि उसे अपना मित्र बना ले ।
हम जिससे प्रेम करते है हमारा स्वरुप एवं व्यक्तित्व वैसा ही बन जाता है ।
सबके प्रति समान स्नेह रखने से आप धैर्य का जीवन जी सकते है ।
जो प्रेम किसी को नुक़सान पहुचाये वह प्रेम है ही नही ।
जितना प्रेम देंगे उतना प्रेम पाएंगे , जितना प्रेम अधिक होगा उसे देना उतना ही सहज हो जाएगा ।
1 comment:
प्रेम और विद्या - दोनो बांटने से बढ़ती हैं।
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